मेरी DP पर तुम नज़र 06 मत
रखो.. वरना लोग तुम्हें मेरा Security
Guard
कहेंगे...!!
पहले तो यूं ही गुज़र जाती थीं, मोहोब्बत
हुई... तो रातों का एहसास हुआ.. ।।
लोग हर बार यही पूछते हैं तुमने उसमें क्या
देखा, मैं हर बार यही कहता हूँ, बेवजह
होती है मोहब्बत।
क्या ऐसा नहीं हो सकता हम प्यार मांगे...
और तुम गले लगा के कहो, “और कुछ?"
काश एक खवाहिश पूरी हो इबादत के बगैर
वो आ कर गले लगा ले .... मेरी इजाजत के
बगैर !
तुम मुझे अच्छे या बुरे नहीं लगते बस अपने
लगते हो।
बीते पल वापस ला नहीं सकते, सूखे फूल
वापस खिला नहीं सकते, कभी कभी लगता
है आप हमें भूल गए, पर दिल कहता है कि
आप हमें भुला नही सकते.
इश्क़ सभी को जीना सिखा देता है, वफ़ा
के नाम पर मरना सीखा देता है, इश्क़ नहीं
किया तो करके देखो, ज़ालिम हर दर्द
सहना सीखा देता है!
परछाई आपकी हमारे दिल में है, यादे
आपकी हमारी आँखों में है, कैसे भुलाये हम
आपको, प्यार आपका हमारी साँसों में है.
न समझ मैं भूल गया हूँ तुझे, तेरी खुशबू मेरे
सांसो में आज भी हैं । मजबूरियों ने निभाने
नदी मोहब्बत, सच्चाई मेरी वफाओ में आज
भी हैं ।
ख़ामोशी बहुत कुछ कहती हे कान लगाकर
नहीं, दिल लगाकर सुनो
आँखों में तेरी डूब जाने को दिल चाहता है!
इश्क में तेरे बर्बाद होने को दिल चाहता है!
कोई संभाले मुझे, बहक रहे है मेरे कदम!
वफ़ा में तेरी मर जाने को दिल चाहता है ! ...
तुम जिन्दगी में आ तो गये हो मगर ख्याल
रखना, हम जान तो दे देते हैं... मगर जाने
नहीं देते
मैखाने मैं आऊंगा मगर पिऊंगा नहीं साकी,
ये शराब मेरा गम मिटाने की औकात नही
रखती...
इतनी सी बात थी जो समन्दर को खल
गई... .. काग़ज़ की नाव कैसे भँवर से
निकल गई
टूटे हुए सपने से खुली, आज सुबह फिर
आँख ... सपना आज फिर चुभेगा दिन
भर....!!
आप तब तक ख़ुशी नहीं रह पाएंगे जब तक
आप ये खोजते रहेंगे की ख़ुशी कहा मिलेगी।
और आप तक ख़ुशी से जी नहीं पाएगे जब
तक लेफे का मीनिंग खोजते रहेंगे।
पास आओगे तो सब अपने पसन्द का
पाओगे, तेरे ख्यालो में रहकर तुझमें में ही
ढल गया मै।
दरिया ए अश्क अब मुनासिब नहीं आने को,
जो मिल ना पाये बाकी रहेगा वहीं बहाने
को।
चाहत देस से आनेवाले ये तो बता के सनम
कैसे हैं ..? दिलवालों की क्या हालत हैं, यार
के मौसम कैसे हैं
मुझ
मुहब्बत न सही मुकद्दमा ही कर दो
पर...... तारीख़ दर तारीख़ तेरा दीदार तो
होगा....
सुना है के तुम रातों को देर तक जागते हो
यादों के मारे हो या मोहब्बत में हारे हो...
पर
मैं जहर तो पी लू शौक से तेरी खातिर..
शर्त ये है कि तुम सामने बैठ कर सासो को
देखो..
टूटता
मत पूछो कितनी मोहब्बत है मुझे उनसे !
बारिश की बूँद भी अगर उन्हें छू ले. तो दिल
में आग लगजाती है
अजब सी खामोशी हैं मेरे अंदर तेरे जाने के
बाद.... मै चीखती ह, चिल्लाती ह मगर शोर
नहीं होता !!
हु
इतना आसान नहीं है जीवन का हर किरदार
निभा पाना, इंसान को बिखरना पड़ता है
रिश्तों को समेटने के लिए...
तुमसे किसने कह दिया कि मुहब्बत की
बाजी हार गएहम? अभी तो दाँव मे चलने के
लिए मेरी जान बाकी है
तुझे क्या देखा, खुद को ही भूल गए हम इस
क़दर कि अपने ही घर जो आये तो औरों से
पता पूछ पूछकर
हमें आदत नही इंतज़ार की, पर क्या करें
सुना है तेरे दर पर लम्बी कतारें है
वादो से बंधी जंजीर थी जो तोड़ दी मैंने,
अब से जल्दी सोया करेंगे, मोहब्बत छोड
दी मैंने.....
अकेले रहने में और अकेले होने में फर्क
होता है
हमें तो प्यार के दो लफ़्ज़ भी ना नसीब
हुए.. और बदनाम ऐसे हुए जैसे इश्क़ के
बादशाह थे हम
हम
कौन करता है यहाँ प्यार निभाने के लिये,
दिल तो बस एक खिलौना है जमाने के
लिये !!
दुनिया जीत गयी दिल हार गया
इरादा कतल का था तो मेरा सिर कलम कर
देते, क्यों इश्क़ में डाल कर तूने मेरी हर
साँस पर मौत लिखदी।
मोहब्बत भी हाथों में लगी मेहँदी की तरह
होती है कितनी भी गहरी क्यों ना हो फीकी
पड़ ही जाती है।
भुला देंगे तुमको ज़रा सब्र तो कीजिये,
आपकी तरह मतलबी बनने में थोड़ा वक़्त
तो लगेगा हमें।
अबकी बार सुलह करले मुझसे ए दिल वादा
करता हूँ की फिर नहीं दूँगा तुझे किसी
ज़ालिम के हाथों में
सुना है काफी पढ़ लिख गए हो तुम, कभी
वो बी पढ़ो जो हम कह नहीं पाते !!
गुलाम बनकर जिओगे तो. कुत्ता समजकर
लात मारेगी तुम्हे ये दुनिया नवाब बनकर
जिओगे तो, सलाम ठोकेगी ये दुनिया.... दम
कपड़ो में नहीं, जिगर में रखो... बात अगर ...
वफ़ा का दरिया कभी रुकता नही, इश्क़
में प्रेमी कभी झुकता नही, खामोश हैं हम
किसी के खुशी के लिए, ना सोचो के हमारा
दिल दुःखता नहीं!
हर बार सम्हाल लूँगा गिरो तुम चाहो जितनी
बार, बस इल्तजा एक ही है कि मेरी नज़रों
से ना गिरना
याद है मुझे मेरी हर एक गलती, एक तो
मोहब्बत कर ली, दुसरी तुमसे कर ली,
तिसरी बेपनाह कर ली
चुपके से धड़कन में उतर जायेंगे, राहें उल्फत
में
हद से गुजर जायेंगे, आप जो हमें इतना
चाहेंगे... हम तो आपकी साँसों में पिघल
जायेंगे.
गम की परछाईयाँ यार की रुसवाईयाँ, वाह
रे मुहोब्बत ! तेरे ही दर्द और तेरी ही दवाईयां
तेरी ख़ुशी की खातिर मैंने कितने ग़म छिपाए
अगर मैं हर बार रोता तो तेरा शहर डूब जाता
टूटे हुए प्याले में जाम नहीं आता इश्क़ में
मरीज को आराम नहीं आता ये बेवफा दिल
तोड़ने से पहले ये सोच तो लिया होता के
टुटा हुआ दिल किसी के काम नहीं आता ...
जिंदगी के किसी मोड़ पर अगर वो लौट भी
आये तो क्या है, वो लम्हात, वो जज्बात, वो
अंदाज, तो ना अब लौटेंगे कभी.. क्योंकि
हर किसी के नसीब में कहाँ लिखी हैं चाहतें...
इश्क़ में कोई खोज नहीं होती, यह हर किसी
से हर रोज नहीं होती, अपनी जिंदगी में
हमारी मौजूदगी को बेवजह मत समझना,
क्योंकि पलके कभी आँखों पर बोझ नहीं .
मैं ख़ामोशी तेरे मन की, तू अनकहा
अलफ़ाज़ मेरा... मैं एक उलझा लम्हा, तू
रूठा हालात मेरा
...
हाथ थामे जिनका चले थे कभी... अब तनहा
इस दिल में लिए घुमते है उन्हें... १९१
वो अक्सर देता है मुझे मिसाल परिंदों की,
साफ़-साफ़ नहीं कहता के मेरा शहर छोड़ दो
फ़ासले तो बढ़ा रहे हो मगर इतना याद
रखना, मुहब्बत बार बार इंसान पर मेहरबान
नहीं होती.
तुमको मिल जायेगा बेहतर मुझसे ! मुझको
मिल जायेगा बेहतर तुमसे ! पर कभी कभी
लगता है ऐसे... हम एक दूसरे को मिल जाते
तो होता बेहतर सबसे !
नज़रअंदाज़ करने की सजा देनी
——
थी तुमको ! तुम्हारे दिल में उतर
जाना--ज़रूरी हो गया था-
करो
कुछ ऐसा दोस्ती में की Thanks And
Sorry words बे-ईमान लगे निभाओ यारी
ऐसे के यार को छोड़ना मुश्किल और दुनिया
छोड़ना आसान लगे...
मोहब्बत होने में कुछ लम्हे लगते है .. पूरी
उम्र लग जाती है उसे भुलाने में ...
प्यार करना हर किसी के बस की बात नहीं
जिगर चाहिए अपनी ही खुशियां बर्बाद
करने के लिए।
उजड़
जाते हैं सिर से पाँव तक वो लोग.....
जो किसी बेपरवाह से बेइंतहा मोहब्बत करते
हैं
किससे...
हजारो गम है सीने मे मगर शिकवा करें
इधर दिल है तो अपना है... उधर
तुम हो तो अपने हो
भरोसा जितना कीमती होता है धोका उतना
ही महँगा हो जाता है।
बड़ी अजीब सी मोहब्बत थी तुम्हारी......
पहले पागल किया.. फिर पागल कहा.. फिर
पागल समझ कर छोड़ दिया
खुल जाता है तेरी यादों का बाजार सुबह
सुबह और हम उसी रौनक में पूरा दिन
गुजार देते है...
मुझे भी शामिल करो गुनहगारों की महफ़िल
में, मैं भी क़ातिल हूँ अपनी हसरतों का
मैंने भी अपनी ख्वाहिशों को मारा है।
/
कोई मिला नहीं तुम जैसा आज तक, पर ये
सितम अलग है की मिले तुम भी नही
ना जाने क्या कमी है मुझमें, ना जाने क्या
खूबी है उसमें, वो मुझे याद नहीं करती, मैं
उसको भूल नहीं पाता
आज उस की आँखों मे आँसू आ गये, वो
बच्चो को सिखा रही थी की मोहब्बत ऐसे
लिखते
है
मुमकिन नहीं शायद किसी को समझ पाना
...
बिना
समझे किसी से क्या दिल लगाना
हुस्न वाले जब तोड़ते हैं दिल किसी का, बड़ी
सादगी से कहते है मजबूर थे हम.....
अल्फ़ाज़
के
'कुछ तो कंकर फ़ेंको, यहाँ
झील सी गहरी ख़ामोशी है।
अब अकेला नहीं रहा मैं यारों
मेरे साथ
....
अब मेरी तन्हाई भी है।
कहाँ पूरी होती है दिल की सारी ख्वाइशें कि
बारिश भी हो, यार भी हो ... और पास भी
हो
ना रहा करो उदास किसी बेवफा की याद
में, वो खुश है अपनी दुनिया में तुम्हारी
दुनिया उजाड़ कर
मरने को मर भी जाऊँ कोई मसला नहीं,
लेकिन ये तय तो हो कि अभी जी रही हूँ मैं
तनहा ही उम्र गुजरती है, लोग तसल्लिया देते
है साथ नहीं !!
मोहब्बत की तरह नफरत का भी साल में
की
एक ही दिन तय कर दो कोई ये रोज़ रोज़
नफरतें अच्छी नहीं लगतीं
कमाल का जिगर रखते है कुछ लोग दर्द
पढ़ते है और आह तक नहीं करते
जिस कदर तुमने भुला रखा है कभी सोचना,
हम सब छोड़कर निकले थे एक तेरी
मोहब्बत के लिये
मायूस ना हो, लबों को भी तकलीफ ना दे...
गर है प्यार तुझे, तो आँखों से बयां कर दे...
ना लफ़्ज़ों का लहू निकलता है ना किताबें
बोल पाती हैं, मेरे दर्द के दो ही गवाह थे और
दोनों ही बेजुबां निकले
कुछ खास नही बस इतनी सी है मोहब्बत
मेरी .. .!! हर रात का आखरी खयाल और हर
सुबह की पहली सोच हो तुम.
इस नाज़ुक दिल में किसी के लिए इतनी
मोहबत आज भी है यारो की हर रात जब
तक आँखे ना भीग जाये नीद नही आती
वो दर्द ही क्या जो आँखों से बह जाए ! वो
खुशी ही क्या जो होठों पर रह जाए ! कभी
तो
समझो मेरी खामोशी को! वो बात ही
क्या जो लफ्ज़ आसानी से कह जायें! ७.
लिखना तो था के हम खुश है उसके बिना
...
मगर आसू निकल पड़े कलम उठाने से पहले
क़ानून तो सिर्फ बुरे लोगों के लिए होता
है....! .. अच्छे लोग तो शर्म से ही मर जाते
हैं.
चाहत देस से आनेवाले ये तो बता के सनम
कैसे हैं ..? दिलवालों की क्या हालत हैं, यार
के मौसम कैसे हैं
तुझसे अच्छे तो जख्म हैं मेरे उतनी ही
तकलीफ देते हैं जितनी बर्दाश्त कर सकूँ ।
किसी के दिल में क्या छुपा है ये बस खुदा
है,
ही जानता
दिल
सोचो
अगर बेनकाब होता तो
कितना फसाद होता..
अगर फुर्सत के लम्हों में मुझे याद करते हो
तो
अब मत करना, क्योंकि मैं तन्हा जरूर
हूँ ... मगर फ़िज़ूल बिलकुल नहीं
उँगलियाँ मेरी वफ़ा पर तो ना उठाओ, जिसे
हो शक़ वो मुझसे निभाकर देखे....
न वो आ सके न हम कभी जा सके, न दर्द
९ दिल का किसी को सुना सके, बस बैठे
है यादों में उनकी, न उन्होंने याद किया और
न हम उनको भुला सके !!
कितना ही सुलझ जायें, अपने से हम ये
जिंदगी
अपनी बातों में हमें,, कभी - कभी
उलझा ही लेती है
चाहत वो नहीं जो जान देती है, चाहत वो
नहीं जो मुस्कान देती है, ऐ दोस्त चाहत तो
वो है, जो पानी में गिरा आंसू पहचान लेती
हैं.
इस दिल को किसी की आस रहती है,
निगाहों को किसी सूरत की प्यास रहती है,
तेरे बिना किसी चीज़ की कमी तो नही, पर
तेरे बेगैर जिन्दगी बड़ी उदास रहती है..
रास्ते वही होंगे और नज़ारे वही होंगे, पर
हमसफ़र अब हम तुम्हारे नहीं होंगे।
वो जो तुमसे रुबरु
करवाता है, आजकल वो
आइना भी हमसे रूठा है।
रिहाई दे दो हमें अपनी मोहब्बत की कफस
हमसे और सहा नहीं
से, कि अब ये दर्द
जाता।
अधूरी मोहब्बत मिली तो नींदें भी रूठ
गयी, गुमनाम ज़िन्दगी थी तो कितने सुकून
से सोया करते थे.
* हम तुमसे दूर कैसे रह पाते,* *दिल से
तुमको कैसे भूल पाते,* *काश तुम आईने
में बसे होते,* *ख़ुद को देखते तो तुम नज़र
आते.*
तुम नही होते हो, बहुत खलता है इश्क
कितना है तुमसे पता चलता
सितारों को आँखों में महफूज रखना, बड़ी
देर तक रात ही रात होगी, मुसाफिर हैं हम,
मुसाफिर
हो तुम भी, किसी मोड़ पर फिर
मुलाक़ात होगी।
तेरी नज़र का झुकना कुछ यू भा गया
दिल को मोहब्बत तो थी ही तुझसे अब तो
आशिक बना दिया मुझको
शब गुजर रही आसमाँ भी सो रहा रात
खामोशी का आँचल लपेटने लगी मेरी
पलको पर ख्वाबो तेरा खो रहा• •
छतरीयाँ अब कहाँ अच्छी लगती है मुझे अब
मैं
भीगना चाहता हूँ..
उसने कुछ यूँ भी होती हैं हमारी बातें बोलते
हैं न हम बोलते हैं
दिखे लाखों हसीन चेहरे शिवाय तेरे कोई
जंचा नहीं मुझे...
कोई छुपाता है, कोई बताता है, कोई रुलाता
@ है, तो कोई हंसाता है, प्यार तो हर किसी
को ही किसी न किसी से हो जाता है, फर्क
तो इतना है कि कोई अजमाता है और कोई ...
न जिद है न कोई गुरूर है हमे, बस तुम्हे
पाने का सुरूर है हमे, इश्क गुनाह है तो
गलती की हमने, सजा जो भी हो मंजूर है
हमे।
इश्क का जिसको ख्वाब आ जाता है,
समझो उसका वक़्त खराब आ जाता है,
महबूब आये या
न आये, पर तारे गिनने का
तो हिसाब आ ही जाता है!
कतरा-कतरा
मैं
बहकता
हूँ तिनका-तिनका
मैं बिखरता हूँ, रोम-रोम तू महकता है,
जर्रा जर्रा मैं तुझमें पिघलता हूँ।
वो प्यार जो हकीकत में प्यार होता है,
जिन्दगी में सिर्फ एक बार होता है, निगाहों
के मिलते मिलते दिल मिल जाये, ऐसा
इतेफाक सिर्फ एक बार होता है।
जिसके जाने से... जान जाती थी...हमने
उनका... जाना भी देखा है....
मोहब्बत खुद बताती है, कहाँ किसका
ठिकाना है, किसे आँखों में रखना है, किसे
दिल मे बसाना है।
सोचा नहीं अच्छा बुरा, देखा सुना कुछ भी
नहीं, माँगा ख़ुदा से हर वक़्त तेरे सिवा कुछ
भी नहीं, जिस पर हमारी आँख ने, मोती
बिछाये रात भर, भेजा वही कागज़ उसे, ह....
ना हीर की तमन्ना है, ना परियों पर मरता हूँ,
एक भोली-भाली सी लड़की है, मैं जिससे
मोहब्बत करता हूँ।
सितम को हम करम समझे, जफा को हम
वफा समझे, जो इस पर भी न समझे वह तो
उस बुत को खुदा समझे।
मेरी ये बेचैनियाँ... और उन का कहना नाज़
से, हँस के
तुम से बोल तो लेते हैं और हम
क्या करें।
हमारे पहले प्यार की खुश्बू तेरी सांसो से
आ रही है तेरे होठों पे हल्की सी हंसी है मेरी
धड़कन
बहकती जा रही है।
बहुत इंतजार के बाद तुमसे बात हुई थोड़ी
ही पर दिल को तसल्ली मिली हमें अहसास
होताथा कि भूलने का तेरे पर आज तुमने
मेरी ग़लतफ़हमी खत्म की
कभी कुछ रिश्ते... इस कदर...घायल कर
देंते है.. की... अपने ही.. घर लौट पाना
मुश्किल हो जाता है..
हमे कहाँ मालूम था इश्क होता क्या है.. बस
तुम
मिले और जिन्दगी मोहब्बत बन गई..!!
तुम्हें देखकर मैं
में
खुद को भूल जाता हूँ तन्हाई
अक्सर ग़ज़ल गुनगुनाता हूँ । इश्क़ हो
या कोई और बला है, बेवजह यूँ हर
गया है
घड़ी
अब मुस्कुराता हूँ ।
ऐ जिन्दगी तू सच में बेहद खूबसूरत है ... पर
ये भी सच है तू अपनो के बिना बिल्कुल
अच्छी नही लगती.!
अब ये रंग छूटता ही नही...... मैंने कहा था
न कि.... सिर्फ पानी मिलाना मग़र तुमनें तो
प्यार
मिला दिया....!!
तेरे इश्क में यूं सराबोर है मेरा तन-मन यह
रंग दिखायेगा !!
फाल्गुन
ना
जाने
कितने
वही पुरानी ख्वाहिश .....फिर वही पुरानी
ज़िद.... चाहिए एक छोटा सा पल और साथ
तुम... सिर्फ तुम # _शोना १९१९७
कई बार किया होगा, लेकिन, हो न सका होगा
न चाहकर भी, पर... इश्क़ होगया
इस बार
होगा।
मोहब्बत यूँ ही किसी से हुआ नहीं करती
अपना वजूद भुलाना
पड़ता है, किसी को
अपना बनाने के लिए ।
दो चार लफ्ज़ प्यार के लेकर हम क्या करेंगे,
देनी है तो वफ़ा की मुकम्मल किताब दे दो ।
वो पिला कर जाम लबों से अपनी मोहब्बत
का, अब कहते हैं नशे की आदत अच्छी नहीं
होती।
हाल तो पूछ लूँ तेरा पर डरता हूँ आवाज़ से
तेरी ज़ब ज़ब सुनी है कमबख्त मोहब्बत ही
हुई
है ।
पहली मोहब्बत थी और हम दोनों ही बेबस
वो ज़ुल्फ़े
सँभालते रहे और मैं खुद को ।
हाथों में मेरे किताब और सामने तेरा किताबी
चेहरा किताब पढ़ा जाता नही और तेरा
चेहरा पढ़ने आता नही।
ज़ालिम तो ये ठण्ड भी हैं मजबूर कर देती हैं
मुझे हर बार तेरी बाँहों में समां जाने के लिए
देखा हज़ारों
कैसी है संभाले
दफ़ा
आपको फिर बेक़रारी
संभलता नहीं ये दिल कुछ
आप में बात ऐसी है
रहे जो नजरों के..... सामने तू हर पल
खुशियों में डूबा रहेगा मेरा आज और
chsl....
नज़र ने नज़र से मुलाक़ात कर ली, रहे दोनों
खामोश पर बात करली, मोहब्बत की फिजा
को जब खुश पाया, इन आंखों ने रो रो के
बरसात कर ली !!
तुझे देखु तो सारा जहाँ रंगीन नज़र आता है,
तेरे बिना दिल को चेन किसको आता है, तुम
ही हो मेरे दिल की धड़कन, तेरा बिना यह